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मातृत्वदिवस (Mother’s Day) विश्वभरमें 13 मईकोमनायागया
13 मई: मदर्स-डे (Mother’s Day)
विश्व भर में वर्ष 2012 का मातृत्व दिवस (Mother’s Day) 13 मई 2012 को मनाया गया. मदर्स-डे प्रतिवर्ष मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है.
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मातृ दिवस पर यूनिसेफ (unicef) का प्रतीक चिह्न
मां को खुशियाँ और सम्मान देने के लिए पूरी ज़िंदगी भी कम होती है। फिर भी विश्व में मां के सम्मान में मातृदिवस (Mother's Day) मनाया जाता है। मातृ दिवस विश्व के अलग - अलग भागों में अलग - अलग तरीकों से मनाया जाता है। परन्तु मई माहकेदूसरे रविवार को सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है। हालांकि भारत के कुछ भागों में इसे 19 अगस्त को भी मनाया जाता है, परन्तु अधिक महत्ता अमरीकी आधार पर मनाए जाने वाले मातृ दिवस की है, अमेरिका में यह दिन इतना महत्त्वपूर्ण है कि यह एकदम से उत्सव की तरह मनाया जाता है।[1]
मातृदिवस का इतिहास सदियों पुराना एवं प्राचीन है। यूनान में बंसत ऋतु के आगमन पर रिहा परमेश्वर की मां को सम्मानित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता था। 16वीं सदी में इंग्लैण्ड का ईसाई समुदाय ईशु की मां मदर मेरी को सम्मानित करने के लिए यह त्योहार मनाने लगा। `मदर्स डे' मनाने का मूल कारण समस्त माओं को सम्मान देना और एक शिशु के उत्थान में उसकी महान भूमिका को सलाम करना है। इस को आधिकारिक बनाने का निर्णय पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति वूडरोविलसन ने 8 मई, 1914 को लिया। 8 मई, 1914 में अन्ना की कठिन मेहनत के बाद तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाने और मां के सम्मान में एक दिन के अवकाश की सार्वजनिक घोषणा की। वे समझ रहे थे कि सम्मान, श्रद्धा के साथ माताओं का सशक्तीकरण होना चाहिए, जिससे मातृत्व शक्ति के प्रभाव से युद्धों की विभीषिका रुके। तब से हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है।[1]
मातृ दिवस पर माँ बच्चा
परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः।
मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति[4]
अर्थात : पृथ्वी पर जितने भी पुत्रों की मां हैं, वह अत्यंत सरल रूप में हैं। कहने का मतलब कि मां एकदम से सहज रूप में होती हैं। वे अपने पुत्रों पर शीघ्रता से प्रसन्न हो जाती हैं। वह अपनी समस्त खुशियां पुत्रों के लिए त्याग देती हैं, क्योंकि पुत्र कुपुत्र हो सकता है, लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती।[5]
इक पलड़े में प्यार रख, दूजे में संसार,
तोले से ही जानिए, किसमें कितना प्यार[5]
सुभद्रा कुमारी चौहान
...बेटा! कहींचोटतोनहींलगी
देश के सुदूर पश्चिम में स्थित अर्बुदांचल की एक जीवंत संस्कृति है, जहां विपुल मात्रा में कथा, बोध कथाएं, कहानियां, गीत, संगीत लोक में प्रचलित है। मां की ममता पर यहां लोक में एक कहानी प्रचलित है, जो अविरल प्रस्तुत किया जाता रहा है। कहते हैं एक बार एक युवक को एक लड़की पर दिल आ गया। प्रेम में वह ऐसा खोया कि वह सबकुछ भुला बैठा। लड़के के शादी का प्रस्ताव रखने पर लड़की ने जवाब दिया कि वह उससे विवाह करने को तैयार तो है, लेकिन वह अपनी सास के रूप में किसी को देखना नहीं चाहती। अत: वह अपनी मां का कत्ल कर उसका कलेजा निकाल लाए, तो वह उससे शादी करेगी। युवक पहले काफ़ी दुविधा में रहा, लेकिन फिर अपनी माशूका के लिए मां का कत्ल कर उसका कलेजा निकाल तेजी से प्रेमिका की ओर बढ़ा। तेजी में जाने की हड़बड़ी में उसे ठोकर लगी और वह गिर पड़ा। इस पर मां का कलेजा गिर पड़ा और कलेजे से आवाज़ आई, बेटा, कहीं चोट तो नहीं लगी...आ बेटा, पट्टी बांध दूं...।[5]
"मेरे पास बंगला है, मोटर है, बैंक - बैलेंस है.... ! तुम्हारे पास क्या है ?" पैंतीस साल पहले एक महानायक के भारी-भरकम संवाद पर हावी हो गया था एक छोटा सा वाक्य, "मेरे पास माँ है !" पीढियां बदल गयी लेकिन दीवार फ़िल्म के शशि कपूर के उस डायलोग की तासीर आज भी उतनी ही सिद्दत से महसूस की जा सकती है। सच में, माँ के दूध से बढ़ कर कोई मिठाई और माँ के आँचल से बढ़ कर कोई रजाई नहीं होती। "मातृ देवो भवः !"[6]
मां शब्द में संपूर्ण सृष्टि का बोध होता है। मां के शब्द में वह आत्मीयता एवं मिठास छिपी हुई होती है, जो अन्य किसी शब्दों में नहीं होती। इसका अनुभव भी एक मां ही कर सकती है। मां अपने आप में पूर्ण संस्कारवान, मनुष्यत्व व सरलता के गुणों का सागर है। मां जन्मदाता ही नहीं, बल्कि पालन-पोषण करने वाली भी है।[5]
मां तो ममता की सागर होती है। जब वह बच्चे को जन्म देकर बड़ा करती है तो उसे इस बात की खुशी होती है, उसके लाड़ले पुत्र-पुत्री से अब सुख मिल जाएगा। लेकिन मां की इस ममता को नहीं समझने वाले कुछ बच्चे यह भूल बैठते हैं कि इनके पालन-पोषण के दौरान इस मां ने कितनी कठिनाइयां झेली होगी।[5]
इस प्रकार आप अपनी मां के लिए ये मातृ दिवस (मदर्स डे) स्पेशल बना सकते हैं। अगाथा क्रिस्टी के शब्दों में, एकशिशुकेलिएउसकीमांकालाड़ - प्यारदुनियाकीकिसीभीवस्तुकेसामनेअतुलनीयहै।इसप्रेमकीकोईसीमानहींहोतीऔरयेकिसीक़ानूनकोनहींमानता। [1]